JEE Advance - Chemistry Hindi (2022 - Paper 2 Online - No. 12)
$$900-1500 \mathrm{~K}$$ के ताप परास पर वात्या भट्टी में आयरन अयस्क से आयरन के निष्कर्षण से संबंधित सही विकल्प है/हैं
सिलिकेट अशुद्धि को दूर करने के लिए चूना पत्थर का उपयोग किया जाता है।
वात्या भट्टी से प्राप्त कच्चे लोहे में लगभग $$4 \%$$ कार्बन होता है।
कोक $$(\mathrm{C})$$, $$\mathrm{CO}_{2}$$ को $$\mathrm{CO}$$ में परिवर्तित करता है।
निष्कासित गैसों में $$\mathrm{NO}_{2}$$ और $$\mathrm{CO}$$ होती हैं।
Explanation
(A) अशुद्धि के रूप में स्थित सिलिका को निष्कासित करने के लिए चूना पत्थर मिलाया जाता है।
(B) वात्या भट्टी से प्राप्त कच्चे लोहे में $$4 \%$$ कार्बन तथा अल्प मात्रा में कई अन्य अशुद्धियाँ (जैसे $$\mathrm{S, P, S i, M n}$$ ) होती हैं।
(C) कोक $$(\mathrm{C})$$, $$\mathrm{CO}_{2}$$ को $$\mathrm{CO}$$ में परिवर्तित कर देता है।
$$\mathrm{C}+\mathrm{CO}_{2} \rightarrow 2 \mathrm{CO}$$
(D) निष्कासित गैसों में $$\mathrm{CO}$$ तथा $$\mathrm{CO}_{2}$$ गैसें होती हैं।
अतः, $$(\mathrm{A}, \mathrm{B}, \mathrm{C})$$ सही हैं।
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